हरी भरी वादी में एक छोटा सा जादू
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एक छोटे से गाँव में, जहाँ हरी-भरी वादियाँ और झरनों की आवाज़ गूँजती थी, रहता था रमेश। रमेश को प्रकृति से बहुत प्यार था। हर सुबह, वह अपने छोटे से बगीचे में जाता, जहाँ उसने गुलाब, चमेली और सूरजमुखी के फूल लगाए थे। उसका बगीचा गाँव का सबसे खूबसूरत कोना था।
एक दिन, रमेश को एक अनोखा पौधा मिला, जो जंगल के किनारे उगा था। उसका रंग सुनहरा था, और उसकी पत्तियाँ हवा में हल्के से नाचती थीं। रमेश ने उसे अपने बगीचे में लगाया और उसकी देखभाल शुरू की। कुछ ही दिनों में, वह पौधा बड़ा होने लगा। उसकी खुशबू ऐसी थी कि तितलियाँ और मधुमक्खियाँ दूर-दूर से चली आतीं।
गाँव वालों ने देखा कि जब से वह पौधा आया, बगीचे में और भी रंग खिलने लगे। फूल पहले से ज्यादा चमकने लगे, और पक्षियों की चहचहाहट और मधुर हो गई। रमेश को लगा कि इस पौधे में कोई जादू है। उसने इसका नाम रखा "हरी जादू"।
एक रात, जब चाँदनी बगीचे में रमेश को सपने में एक बूढ़ा साधु दिखा। उसने बताया कि यह पौधा प्रकृति का आशीर्वाद है, जो प्यार और देखभाल से फलता-फूलता है। रमेश ने उसकी बातों को दिल से लिया और अपने बगीचे को और भी खूबसूरत बनाने में जुट गया।
धीरे-धीरे, गाँव के लोग भी रमेश के बगीचे में मदद करने लगे। बच्चे, बूढ़े, जवान, सब मिलकर पौधे लगाने लगे। गाँव की हवा में एक नई ताजगी थी, और हर चेहरा मुस्कान से चमक रहा था।
सबक: प्रकृति से प्यार करने और उसकी देखभाल करने से जीवन में रंग और खुशियाँ बिखरती हैं।
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