कहानी पेड़ की सीख

एक बार की बात है। एक गाँव में एक छोटा लड़का रहता था — नाम था राजू। राजू को मोबाइल चलाना और टीवी देखना बहुत पसंद था। 
वो सुबह से शाम तक स्क्रीन में ही घुसा रहता था। बाहर खेलना, खेतों में जाना, पेड़ों के नीचे बैठना — सब छोड़ चुका था।

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एक दिन राजू के दादाजी उसे गाँव के बाहर एक पुराने बरगद के पेड़ के पास ले गए।

दादाजी बोले, “राजू, इस पेड़ को देखो। ये जब मैं तुम्हारी उम्र का था, तब भी इतना ही मजबूत था।”

राजू ने पूछा, “लेकिन ये तो सिर्फ एक पेड़ है, इसमें खास क्या है?”

दादाजी मुस्कुराए और बोले, “ये सिर्फ पेड़ नहीं है बेटा, ये धैर्य, सेवा, और समर्पण का उदाहरण है। ये बिना कुछ मांगे सबको छाया देता है, पक्षियों को घर देता है, हवा साफ करता है और ज़मीन को थामे रखता है। क्या तुम्हारा मोबाइल ये सब कर सकता है?”

राजू चुप हो गया।

दादाजी ने कहा, “प्रकृति से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। बस ज़रा ध्यान दो, और इससे रिश्ता जोड़ो। पेड़, नदियाँ, सूरज — ये सब हमारे असली शिक्षक हैं।”

उस दिन के बाद राजू ने रोज़ कुछ समय बाहर बिताना शुरू किया। वो अब हर दिन उस बरगद के पेड़ के नीचे बैठता, किताब पढ़ता और आसपास की चीज़ों को देखता। उसका मन शांत रहने लगा, आँखें कम थकतीं और वो खुद को ज़्यादा खुश महसूस करने लगा।

धीरे-धीरे राजू को समझ आ गया — प्रकृति सिर्फ सुंदर नहीं होती, वो सिखाती भी है।

सीख:

अगर तुम सच में समझदार बनना चाहते हो, तो किताबों के साथ-साथ प्रकृति से भी सीखो। वहाँ ज्ञान भी है और सुकून भी।

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